ग्रह जिस भी भाव में स्थित हो उक्त भाव में अपने नैसर्गिक कारकत्व अवश्य प्रदान करता है।
ज्योतिष में सबसे मुख्या सूत्र है ग्रह जिस भी भाव में स्थित हो उक्त भाव में अपने नैसर्गिक कारकत्व अवश्य प्रदान करता है। भाव के कारकत्वों के साथ उक्त कारकत्वों को शामिल करके फल कथन किये जाते है। लगन स्थान आपका व्यक्तित्व दर्शाता है। आपका जीवन के प्रति नजरिया। जैसे की यदि चंद्र लगन में स्थित हो तो स्वाभविक है व्यक्ति विशेष भावुक होगा एवं अपने विचार जल्दी से बदलने वाला साथ ही जीवन में सबसे अधिक प्रभाव माँ का होगा ,यहाँ जातक सिर्फ वे कार्य करेगा जिसके लिए उसका मन कहे किसी अन्य के प्रभाव में आये बिना । मित्र राशि में स्वाभविक रूप से शुभ फलदायी होगा शत्रु राशि में अशुभ ,वैसे ही चर राशि ,स्थिर राशि द्विस्वभाव राशि में अलग फल होंगे। जैसे की चर राशि में मौज मस्ती घूमना , स्थिर में विचार की स्थिरता एवं द्विस्वभाव राशि में हमेशा दुविधा में रहना। तत्पश्चात उसका भाव स्वामित्व देखे शुभ भाव का स्वामी तो शुभत्व अशुभ भाव स्वामी 6 8 जैसे की धनु लगन में जीवन में कई परिवर्तन एवं कुम्भ में जीवन में संघर्ष की स्थिति स्वयं के मन के कारन होगी। ठीक ऐसे ही सभी ग्रहो की स्थिति एवं उनके कारकत्व अनुसार फल कथन होगा। फलो में परिवर्तन उस ग्रह से सम्बन्ध रखने वाले ग्रह देंगे।
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