राहु देव आसक्ति के विशेष गुण के लिये है जिस ग्रह के साथ स्थित हो उक्त ग्रह से आसक्ति अवश्य देते है।
राहु देव आसक्ति के विशेष गुण के लिये है जिस ग्रह के साथ स्थित हो उक्त ग्रह से आसक्ति अवश्य देते है। किन्तु राहु देव उक्त ग्रह से संबंधित कारको पर अवश्य ही अपना प्रभाव भी रखते है। गुरु देव गुरु एवं ज्ञान के प्रमुख कारक है यदि राहु युक्त हो तो आसक्ति गुण स्वरुप गुरु के प्रति आसक्ति तो होगी किन्तु साथ ही साथ हमेशा गुरु अथवा ज्ञान के मार्ग में अहम् साथ होगा। शुक्र देव जो की धन एवं विलासिता के प्रमुख करक ग्रह है जातक में विलासिता , जीवन साथी के प्रति आसक्ति अवश्य होगी किन्तु साथ ही साथ उनके साथ हमेशा एक अलग अहम् भी होगा जो जीवन में समस्या भी देगा , बुध देव घर की महिला सदस्यों बुआ बेटी आदि से संबंध रखते है ये राहु से युत स्वरुप आसक्ति होगी साथ ही साथ हमेशा रिश्तो में भ्रम भी रहेगा ,सूर्य देव पिता , सरकार को इंगित करते है राहु युति स्वरुप जातक की आसक्ति होगी किन्तु साथ ही भ्रम गलतफमी आदि हमेशा बानी रहेगी , चंद्र माता का को इंगित करता है ऐसे में माता के प्रति आसक्ति किंतु साथ ही रिश्तो में भ्रम हमेशा रहेगा , शनि देव कर्म , बड़े सहोदर राहु युति स्वरुप आसक्ति किन्तु साथ ही भ्रम की स्थिति होगी। युति स्वरुप उक्त ग्रहो में राहु के प्रभाव भी अवश्य शामिल होंगे। जैसे की गुरु आदि में विदेशी सोच ( अर्थात अलग सोच के गुरु मिले ) , शनि से अलग तरह कर्म हो , सूर्य से पिता में दुनिया से अलग गुण हो। ठीक इसी तरह सभी ग्रहो के बारे में देख सकते है। अर्थात राहु देव जिस भाव में स्थित हो जिस ग्रह से युत हो उस रिश्ते के प्रति आसक्ति हमेशा बनाते है किन्तु साथ में रिश्तो में भ्रम की स्थिति हमेशा रहती है।
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