आपका सम्पूर्ण जीवन चंद्रमा पर आधारित है, यह आपका मन है जो आपको किसी भी परेशानी के बिना उदास करता है। यह आपका मन है जो कई बार जीवन में सबसे अधिक परेशानी के बावजूद, यह आपको परेशानी का अनुभव नहीं करने देता।
आपका सम्पूर्ण जीवन चंद्रमा पर आधारित है, यह आपका मन है जो आपको किसी भी परेशानी के बिना उदास करता है। यह आपका मन है जो कई बार जीवन में सबसे अधिक परेशानी के बावजूद, यह आपको परेशानी का अनुभव नहीं करने देता। चाहे आपका लगन कितना भी मजबूत हो, चंद्रमा आपके मन के अनुसार ही काम करता है। कई बार चंद्र पाप ग्रहो से सम्बन्ध में भी हो तो भी मन स्थिति मजबूत होती है इसका अर्थ है चंद्र को कही से अत्यधिक बल प्राप्त है , एवं प्राणपद लगन बेहद बलवान है ,यहाँ तक की समय की गणना में भी चंद्रमा का महत्व अधिक है। चंद्रमा से जिस भी भाव में शनि है, वह भाव हमेशा चिंतन में रहता है। चंद्रमा से जहाँ भी केतु होता है, वहाँ संदेह की स्थिति बनती है। चंद्रमा से जिस भी भाव में राहु होता है, वहाँ मोह और माया से जुड़ा होता है। चंद्रमा से जिस भी भाव में मंगल होता है, वहाँ जीवन सबसे बड़े प्रयासों से जुड़ा होता है। चंद्रमा का शुभ स्थिति में होना सबसे खुशहाल स्थिति है। लगन कुंडली से चाहे राजयोग न हो किन्तु चंद्र से बन ने वाले राजयोग अधिक महत्वपूर्ण है । यहाँ तक की चंद्रमा से 6 , 7 , 8 में भी शुभ ग्रह स्थिति हो, तो उससे समान स्थिति बनती है। इसका अर्थ यह है कि चंद्रमा से लगातार तीन भाव और चंद्रमा के सामने के तीन भाव या तो शुभ ग्रहों से युक्त होते हैं या उनके प्रभाव में होते हैं। जीवन में कोई भी परेशानी हो, उनके उपाय करने से पहले चंद्रमा के उपाय सबसे अधिक आवश्यक हैं। यदि मानसिक पीड़ा हो, तो इसका अर्थ है कि चंद्रमा में पीड़ा है। जीवन की परेशानियाँ इतनी पीड़ादायक कभी नहीं होंगी जितनी चंद्रमा की पीड़ा में होती है। यह एक आश्चर्यजनक बात है कि चाहे अशुभता हो, अगर मन खुश है, तो आप खुश हैं। अगर मन दुखी है, तो आप दुखी हैं, चाहे जीवन शुभ हो या अशुभ। चंद्रमा चाहे गोचर में पीड़ा में हो या लग्न कुंडली में, आपको उन ग्रहों के उपाय करने चाहिए जो पीड़ा दे रहे हों। और प्राणायाम जरूर किया जाना चाहिए।
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